Mahadevi Verma Ke Sansmarnatamak Rekhachitron Mein Dalit Savedna
Main Article Content
Abstract
हिन्दी साहित्य में दलित- साहित्य की सुदीर्घ परंपरा है। मानव को केन्द्रबिन्दु बनाकर बहिष्कृत समाज की वेदना को वाणी प्रदान करने वाले इस साहित्य की मुख्य विधा प्रारंभ में आत्मकथा थी, जो अनुभूत यथार्थ पर आधारित होती है। कालांतर में साहित्य की अन्य विधाओं सहित रेखाचित्र और संस्मरण में भी दलित-वेदना को अभिव्यक्ति मिली। यथार्थ पर आधारित इन विधाओं में कल्पना की जगह सत्य की समग्रता तथा लेखक की अनुभूतियों, स्मृतियों और जीवन-मूल्यों का अद्भुत संगम होता है। महादेवी वर्मा हिन्दी की सर्वोत्तम संस्मरण लेखिका और रेखाचित्रकार हैं। इनके ग्यारह संस्मरणात्मक रेखाचित्रों का संग्रह “अतीत के चलचित्र' 94। में प्रकाशित हुआ, जिनमें आठ रेखाचित्र दलित वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। 943 में प्रकाशित, द्विवेदी-पदक से सम्मानित “स्मृति की रेखाएँ' के सात रेखातित्रों में पाँच दलित वर्ग को समर्पित हैं। अन्य रेखाचित्र भी किसी न किसी रूप में समाज से बहिष्कृत और उपेक्षित चरित्रों के ही प्रतिरूप हैं। इन संस्मरणात्मक रेखाचित्रों के सभी पात्र दीन, विवश परंतु कर्मठ और रचनाशील हैं। पुरूष-पात्रों में दृढ़ता, उत्साहपूर्ण शक्ति तथा आत्म-गौरव है, तो स्त्री-पात्रों में गरिमामयी बनानेवाली भावनात्मक दुबर्लता। अपने जीवन से जुड़े इन चित्रों के व्यक्तित्व के सकारात्मक पक्षों पर विशेष बल देते हुए महादेवी जी ने अनेक सामाजिक विकृतियों की चर्चा की और इन्हें हर संभव मदद देकर समाज-सुधार की दिशा में सार्थक पहल भी की। वास्तविक जीवन पर आधारित होने के कारण ये रेखाचित्र जीवन के अनेक रंग तो प्रस्तुत करते ही हैं, महादेवी जी की गहरी संवेदना के प्रतीक भी हैं। इनमें यदि जीवन का स्पंदन और आत्मा का वृहत्कंपन है तो अछूतोद्वार का संदेश भी है।
Article Details
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License.
References
'कौल, गोपालकृष्ण. (95). ““महादेवी के रेखाचित्र'', महादेवी वर्मा :काव्य-कला और जीवन दर्शन, सं0 गुर्टू, शचीरानी. दिल्ली : आत्माराम एण्ड सन्स.
सं0 गुर्दू, शचीरानी. (95). महादेवी वर्मा : काव्य-कला और जीवन दर्शन, दिल्ली : आत्माराम एण्ड सन्स.
मानव, विश्वंभर. (95 ). ““महादेवी की प्रणयानुभूति '', महादेवी वर्मा : काव्य-कला और जीवन दर्शन, सं0 गुर्दू, शचीरानी, दिल्ली :आत्माराम एण्ड सन््स.
राय, अमृत, “गद्यकार महादेवी और नारी समस्या”', महादेवी वर्मा :काव्य कला और जीवन दर्शन, सं0 गुर्टू, शचीरानी, दिल्ली :आत्माराम एण्ड सन््स.
वर्मा, महादेवी. (2004). अतीत के चलचित्र, इलाहाबाद: लोक भारती प्रकाशन,
वर्मा, महादेवी. (2003). स्मृति की रेखाएँ, इलाहाबाद : लोक भारती प्रकाशन,